हमारे पास कितने किस्से-कहानियां होते है बताने को. कुछ पुरानी यादें, कुछ आस-पास की बातें, कुछ अपनी, कुछ दुसरो की; हैं ना ??
चलियें बात करते है शादियों की. भारत में शादियाँ बहुत मजेदार होती है, रोमांचक कहना ज्यादा अच्छा होगा. तो शुरुआत करते है, जब किसी घर में लड़की/लड़का शादी के लायक होता है तब से. भारत के हर शहर, गाँव में कुछ "समाजसेवी" ऐसे होते है, जो शादी करने को अपनी जिम्मेदारी मानते है. "जोड़ियाँ तो ऊपर वाला बनाता है" ऐसा ये समाजसेवी बोलते है लेकिन जोड़ियों को मिलाते तो यही है. कोई ऐरा- गैरा "समाजसेवी" नहीं बन सकता, मेरी माँ अंतिम १० साल से शादियाँ करा रही है, लेकिन दुर्भाग्यवश १ भी हो नहीं पायी. इन समाजसेवियों के कुछ लक्षण होते है, जैसे ये झूठ सच की तरह बोलते है, लड़की वालो को लड़के की आमदनी में एक ० बढ़ा कर बताते है, और लडको को लड़की की सुन्दरता थोरा ज्यादा बढ़ा कर. ये जल्दी हार मानने वालों में से भी नहीं है, ये तब तक प्रयास करते है जब तक लड़का/लड़की की शादी ना हो जाये. दहेज़ वाले जगहों पर इनके मोल-मोलाई वाली गुण भी दिखती है.
खैर चलो, शादी तय हो गयी . जो लेना- देना था, वो भी हो गया. अब समय आया है, कार्ड छपवाने का. बहुत परेशानी होती है, किसका नाम देना है, किसका नहीं. बहन के ससुर जी का नाम, और देहरादून वाले चाचा का नाम देना है या नहीं. कभी कभी तो बेचारे प्रिंटिंग प्रेस वाले परेशान हो जाते है, इस नाम के चक्कर में. क्यूंकि शादी परिवार की ब्रांडिंग पार्टी होती है, इसलिए परिवार के अच्छे लोगों के नाम पहले दिए जाते है और अंतिम में चुन्नू-मुन्नू तो होते ही है. एक बहुत ही लोकप्रिय वाक्य है जो ९०% कार्ड में लिखा होता है:
ना कोई फ़ोन, ना कोई बहाना
मेले चाचू की शादी में जलूल आना.
-चुन्नू, मुन्नू
फिर सारे सगे-सम्बन्धियों को फ़ोन करना, और तब आपको किसी और रिश्तेदार से पता चलेगा की दिल्ली वाले जीजा जी को तो आप भूल ही गए. और जब आप उनको कुछ दिन देर से फ़ोन करेंगे तो वो अपने सैकरो व्यस्तता बताएँगे. घबराइए मत, अंत में आपकी दीदी उनको मना ही लेंगी.
शादी वाले घर में अजब माहौल रहता है. १५-२० बच्चे लुका-छीपी खेलते मिलेंगे, बाहर बैठक में बूढ़े-बुजुर्ग देश की वर्तमान समस्याओं पर चर्चा करते मिलेंगे, कुछ किशोर जो शादी में जागरूक कार्यकर्ता रहते है वो समय निकाल कर सहवाग की बल्लेबाजी में खामियां ढूंढ़ते दिखेंगे. सबसे ज्यादा व्यस्त होती है महिलाएं.
" तुमने नीरा दीदी की साड़ी देखी, मुझे भी वैसी ही साडी चाहिए फेरे वाले दिन के लिए", और बेचारा पति भरी दोपहर में मार्केटिंग के लिए निकल जाता है. "पूनम भाभी का गले का सेट देखी, दीदी, चांदी का है वो और वो भी बिलकुल हल्का".
वैसे पुरुषों की बात भी उतनी ही अच्छी होती है. " शर्मा जी की खूब उपरी कमाई हो रही है, देखा नहीं, नयी गाड़ी ली उन्होंने." " सिंह साहब ने नया घर बनवाया भी तो जंगल में, बताइए सिन्हा जी कौन जायेगा वहां पर."
अब बारी आती है, बारात वाले दिन की. दुल्हे वाले की तरफ इस बात की युद्ध चलेगी की सहवाला किसका बेटा बनेगा. कई लोग तो विडियो रेकॉर्डिंग वाले को पैसे भी देते है, ताकि वो उनकी ज्यादा फोटो ले. दुल्हे के कुछ अति-उत्साहित भाइयों और दोस्तों में नाचने का नशा चढ़ता है. (वो लोग चढाते है, आपने सुना होगा, "काफी देर से गला तर नहीं किया"). जूता चुराने का मजा तो सबको याद होगा. मेरे एक मित्र ने अपने भाई के शादी पे दुल्हन की दोस्तों की जूतियाँ चुरायी थी, क्यूंकि उन्होंने ने मित्र के भाई का जूता चुराया था.
लेकिन कुछ भी हो; भारत में शादी एक बहाना होती है, लोगो के मिलने जुलने का. यहाँ शादी सिर्फ दो लोगो के मिलने का ही मौका नहीं होता, बल्कि सारे परिवार, रिश्तेदारों का मिलने जुलने का, अपना सुख-दुःख बाँटने का भी मौका होता है. आज कल जब परिवार छोटे होते जा रहे है, तो ये और महत्वपूर्ण हो गया है. ये एक मौका है जब बच्चे सबसे मिलते है और समझते है की कौन कौन अपने है.
जो कुछ भी हो, अच्छा लगता है. याद कीजिये, आपके साथ आपके बचपन की जितनी यादें है, उनमे से एक कोई न कोई शादी जरूर होगी. है न??
जो कुछ भी हो, अच्छा लगता है. याद कीजिये, आपके साथ आपके बचपन की जितनी यादें है, उनमे से एक कोई न कोई शादी जरूर होगी. है न??
7 comments:
never got so much pleasure reading your posts before this one.... apni Hindi bhasha hai hi itni nirali ki padhne ka maja dus guna ho jata hai...agar yahi post tumne angreji me likhi hoti to shayad isme vo madhur ras na aa pata...
ati uttam !!
तरोश भाई, ये बात तो है. व्यंग्य हिंदी में ही अच्छे लगते है, शायद क्यूंकि हम उनका पूरा मजा ले पाते है. खैर ये एक शुरुआत है, हिंदी को भूलने से बचने के लिए...
पढने क लिए धन्यवाद.
bhai tune vidaai chhod di
gud one...
siddharth..haan..sahi bola...
thanks masrin :)
Dulhan ki saheliyon ke joote chupana......LOLism....pas yaar tum bidai bhool gaye....waise achcha likha hain :)
Thanks Saurabh :)
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