Wednesday, April 27, 2011

खटमल जी, कब जाओगे??

२ ग्राम का प्राणी क्या-क्या कर सकता है, इसका अनुभव अपने १९ साल के गौरवशाली इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. आजकल एक गीत काफ़ी मन को भा गया है. दो पंक्ति आपके लिए,"मुझे नींद न आये, मुझे चैन न आये". प्यार-मुहब्बत से तो अब उम्मीद ही नहीं रही. ये पंक्तियाँ मैं अपने प्यारे खटमलों को समर्पित करता हूँ जिनके साथ मैं पिछले २ महीनों से "लिव इन" रिलेशनशिप में रह रहा हूँ.

और अब तो बात काफ़ी बढ़ गयी है. हम दोनों एक दूसरे को फूटी आँख भी नहीं सुहाते. हालाँकि इनका प्रेम सिर्फ़ मेरे लिए ही नहीं है, मेरे आस-पास वाले भी इनके  प्रेम की गंगा में मेरे जितनी ही डुबकियाँ लगाते हैं. खाने की मेज़ पर गपशप का विषय ही बदल गया है. कहाँ पहले तरुण कन्याओं के बारे में बातें होती थीं, अब वो खटमलों के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गयी हैं. कल मेरे पड़ोसी ने बताया कि  २ मेगापास्कल के दाब से खटमलों की मौत सुनिश्चित है. कीट-पतंगों को मारने के लिए जिस  ज़हर का प्रयोग किया जाता है, वो अब इनके प्रजनन में सहायता कर रहा है.
 मैंने भी काफ़ी शोध किया है. गूगल पर,"How to kill bed bugs?" ढूँढ़ा था. एक बार तो पूरे कमरे में गर्म पानी डाल दिया. मेरे अल्पविकसित भेजे ने दो सुन्दर निष्कर्ष दिए, जो नीचे प्रस्तुत हैं:

१. गर्म पानी से वो जल कर मर जायेंगे.
२. अगर बच गए तो डूब कर मर जायेंगे.

 इन सारे किन्तु-परन्तु के बाद भी खटमल मेरे खून को उतने ही प्यार से पी रहे हैं, जितना वो पहले पिया करते थे. पड़ोस के मिश्र जी रोज़ सोने से पहले किरासन तेल से जला कर मारते हैं. भगवान की लीला भी निराली है, खटमल दिन दुगनी रात चौगुनी गति से बच्चे पैदा करते हैं. भई, क्या ज़रूरत है, पहले से क्या कम हैं कि हर सुबह एक नयी सेना खड़ी  कर देते हैं.
 इन खटमलों ने काफ़ी अवसाद से भर दिया है. कभी-कभी तो लगता है इस नश्वर संसार को त्याग ही देना चाहिए. रुकिए, मिश्र जी दरवाज़े पर हैं, शायद कोई नयी तरकीब लेकर!!!

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