Wednesday, October 26, 2011

कोई बिरला विष खाता है

जीवन में सुख तो सभी भोगते हैं| आनंद लेते हैं, इश्वर की कृपा मानते हैं जब जीवन खुशियों से भरा होता है| सभी दूसरों कि खुशियों के साक्षी होना चाहते हैं| जो भी संसार में सुन्दर है, सुखकर है, उसके अस्तित्व की सराहना करते हैं| पर कम ही ऐसे जन होते हैं जो दुःख भोगना जानते हैं| जो कठिन परिस्थितियों में भी मुस्करा कर इस जीवन रूपी कहानी के एक हर खंड का मज़ा लेते हैं, और जीवन को सही मायने में जीते हैं| आसमान एक ही होता है, कभी बिलकुल साफ़, उजाला हुआ तो कभी काले बादलों से घिरा रहता है; जिहने सच में उड़ना पसंद हो, उन्हें दोनों ही स्थितियों में आकाश उतना ही आकर्षक लगता है| उड़ान में निश्चित ही कुछ
सहज और कुछ विषम मोड़ आयेंगे पर दोनों को ही बाहें फैलाये जो लोग अपना लें, वो कम ही होते हैं| कहते हैं, भगवान् उतनी ही परीक्षा लेते हैं जितना व्यक्ति में बल होता है| जिसका जीवन सुकुमार फूलों से भरा हुआ हो, वो जीवन के कितने ही पहलुओं से अनजान रह जाता है, पर जिसके जीवन में "विष आए" वो बड़ा ही भाग्यवान है; उसने संसार का सही अर्थों में भोग कर लिया और और विष जैसी कीमती वस्तु को पा लिया, वो बड़ा ही धनवान और संपन्न हो गया| सुख तो सभी पाते हैं, पर जो दुःख पा के भी जी लिए ऐसे मनोबली व्यक्तियों का जीवन सच में साकार हो जाता है|



कोई बिरला विष खाता है!

मधु पीने वाले बहुतेरे,
और सुधा के भक्त घनेरे,
गज भर की छातीवाला ही विष को अपनाता है!
कोई बिरला विष खाता है!

पी लेना तो है ही दुष्कर,
पा जाना उसका दुष्करतर,
बडा भाग्य होता है तब विष जीवन में आता है!
कोई बिरला विष खाता है!

स्वर्ग सुधा का है अधिकारी,
कितनी उसकी कीमत भारी!
किंतु कभी विष-मूल्य अमृत से ज्यादा पड़ जाता है!
कोई बिरला विष खाता है!

--हरिवंश राय बच्चन