हवा में बसी है आज एक नयी खुशबू
तितलियों सा हसीन है मौसम
रंग हैं,हरियाली है,लगता है
पतंगों का मौसम है|
ये दिन जीवन का सबसे बेहतरीन तो नहीं
कई काम अभी भी अधूरे हैं,
कई लोग अभी भी रूठे हैं
पर आज खुशियाँ बिखरी हैं हर तरफ,जैसे
फूलों का मौसम है|
रंग तो हमेशा सुहाते थे मन को
आज जी चाहता है उन्हें ओठ लूँ तन पर
कारण तो जानूं ना,पर लगता है
होली का मौसम है|
दोपहर थी तो सूरज की तपिश भी भीनी सी लगी
रात आयी है तो
बिखरी चांदनी भी मनभावन है, लगता है
खुशदिली का मौसम है
वो पेड़ जो झेल रहा था सर्दी-गर्मी की मार
आज नए फूल खिले उस पर,
तो बड़ी विनम्रता से अर्पण किया उसने उन्हें अपने स्रोत पर
ये धरती भी रंगीन हो झूम उठी,आज
कृतज्ञ होने का दिन है,मानो
बसंत का मौसम है!
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